राहुल गांधी हाथरस क्यों गए..!!
आखिर क्यों गए राहुल गांधी हाथरस..!!
मेरी कलम से ( बी एल सरोज ) संसद के शीतकालीन सत्र के चलते बीच में ही लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का 4 साल पहले के यूपी के हाथरस में हुए दलित युवती से गैंगरेप और हत्या के मामले को लेकर अचानक हाथ हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मिलना और प्रदेश और देश की राजनीति को एक नया मुद्दा देना आखिरकार कितना सही और कितना गलत ? यह सवाल पूरे देश में राजनीति से जुड़े लोगों के मन में उठ रहा है कि आखिरकार ऐसा क्या जरूरी था जो राहुल गांधी संसद के अनेक मुद्दों को छोड़कर हाथरस पहुंचे जिससे कि सत्ता पक्ष में मजबूती से बैठी भाजपा सरकार को उन्हें घेरने का एक और मौका मिल गया , हालांकि राजनीति में आरोप - प्रत्यारो लगाना बड़ी बात नहीं है क्योंकि राजनीति और आरोप प्रत्यारोप का एक दूसरे से चोली दामन का साथ है लेकिन सवाल वही है कि आखिरकार राहुल गांधी हाथरस क्यों गए ? यदि जानकारों की माने तो पीड़ित परिवार ने उन्हें ६ माह पहले एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि यूपी सरकार ने जो वादे उनसे उस समय किए थे उन वादों को पूरा नहीं किया ना तो परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी और ना ही मुआवजा मिला ! सही बात है कि इंसानियत के नाते एवं मानवता का धर्म निभाने के नाते राहुल गांधी को हाथरस जाना चाहिए था लेकिन यह चिट्ठी 6 माह पहले लिखी गई थी तो ऐसे में संसद सत्र को बीच में छोड़कर हाथरस जाना कहां तक सही है, यही सवाल इन दिनों राजनीति गलीयांरों में घूम रहा है हालांकि इसका सही जवाब स्वयं राहुल गांधी ही दे सकते हैं लेकिन कभी-कभी गांधी ऐसे कदम उठाते हैं जिनकी किसी को उम्मीद नहीं होती है फिर चाहे वह लोकसभा में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना , या फिर आंख मारना या फिर अपनी ही सरकार के प्रधानमंत्री के खिलाफ डॉक्यूमेंट फाड़कर टेबल पर फेंकना उन पर कई सवाल खड़े करता है और उनके हाथरस जाने के मामले पर भी अनेक सवाल खड़े इसीलिए हो रहे हैं , क्या राहुल गांधी अभी भी राजनीति में अपरिपक्व हैं, क्या राहुल गांधी बिना सोचे समझे निर्णय लेते हैं , क्या राहुल गांधी के सिपहसालार या उन्हें सलाह देने वाले उन्हें सही सलाह नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि जिस राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन (विपक्ष ) ने लोकसभा में शानदार प्रदर्शन किया उन्ही राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन विधानसभा चुनाव में बुरी तरहां हार गया फिर चाहे वह हरियाणा विधानसभा के चुनाव हो या महाराष्ट्र के हार ठीकरा कांग्रेस के सर पर ही फोड़ा जा रहा है , और इंडिया गठबंधन में अब नेतृत्व परिवर्तन कर ममता बनर्जी के हाथ में कमान देने की बातें सामने आ रही है ।
लेकिन इससे पहले कहीं न कहीं कांग्रेस के थिंक टैंक को यह सोचना होगा और राहुल गांधी को सही सलाह देनी ही होगी कि वह ऐसे बचकाना कदम ना उठाए जिससे की उनके राजनीतिक कुशलता पर ही सवाल खड़े होने लग जाए और यह तब और भी जरूरी हो जाता है जब देश की राजधानी में विधानसभा चुनाव सामने हों ।
बी एल सरोज.. एडिटर-इन-चीफ
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