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भ्रामक विज्ञापनों का मायाजाल..!!

भ्रामक विज्ञापनों का मायाजाल..!!

*आखिर कब छुटकारा मिलेगा भ्रामक विज्ञापनों से..!!*
*रींगस, सीकर, जयपुर :- ( बी एल सरोज )रींगस उपखंड , सीकर जिले और राजधानी जयपुर सहित  पूरे प्रदेश में कोचिंग संस्थानों की बाढ़ आई हुई है और आए भी क्यों नहीं प्रदेश और देश में जो बेरोजगारी के हालात है उन्हें देखते हुए हर मां-बाप यह चाहता है कि कैसे भी हो पढ़ लिखकर हो चाहे पेपर खरीद कर हो या फिर डमी कैंडिडेट बैठक हो या किसी भी माध्यम से ले देकर बच्चे नौकरी लग जाए तो शायद उनका घर बस जाए उनका जीवन यापन हो जाए और इन्हीं सब बातों का फायदा उठा रहे हैं यह कोचिंग संस्थान सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी भ्रामक विज्ञापनों के फेर में अभिभावक ऐसे फंसे हैं कि उन्हें सब कुछ इन संस्थानों में ही नजर आने लगता है । कोई  एक न्यूज़ चैनल या किसी एक अखबार जो कि उनका स्वयं का  कार्यक्रम है जो पैसे कमाने का उसमें इन संस्थाओं से पैसे लेकर के इन्हें एक मोमेंट किसी मंत्री, बड़े व्यक्ति या किसी अधिकारी से  तो उसको लेकर के यह सब लोग बड़े-बड़े इश्तहार और बड़े-बड़े होर्डिंग्स गांव शहरों में लगवा देते हैं कि हम ही नंबर वन है शहर जिले व प्रदेश में और कोई नहीं है हमारे आस-पास । और यही से शुरू होती है फर्जी और भ्रामक विज्ञापनों की कहानी अभिभावक कभी जान ही नहीं पाते हैं कि जिस कोचिंग संस्थान में वह अपने बच्चों को एडमिशन दिलवा रहे हैं उनके निदेशक , मलिक या डायरेक्टर जो भी है उनकी खुद की योग्यता क्या है..! और ना ही  किसी अभिभावक ने पूछा होगा ,  आप जिस संस्थान को चला रहे हो आपने दसवीं ,  12  वीं क्लास या ग्रेजुएशन में कुल कितने मार्क्स प्राप्त किए हैं और आप क्यों नहीं आज तक सफल हो पाए ! यह ऐसे सवाल है जो सबके सामने लेकिन कोई नहीं पूछना चाहता कोई नहीं जानना चाहता , बस सब एक अंधी दौड़ में दौड़ लगाते चल जा रहे हैं ।*
 *मैं सभी कोचिंग संस्थानों को गलत नहीं ठहराना चाहता हूं लेकिन जरूरी है कि इनकी सच्चाई सामने आए बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में एयरकंडीशन की सुविधाओं के नाम पर  बड़े-बड़े विज्ञापन देकर के जिस कदर यह आम अभिभावक को भ्रमित कर रहे हैं कहीं ना कहीं आने वाली युवा पीढ़ी के लिए यह बहुत ही नुकसानदायक है और यही से कहीं न कहीं शुरुआत होती है पेपर लीक मामलों की !  यही से कहीं से शुरुआत होती है डमी कैंडिडेट परीक्षा में बैठाने की , और यही  कहीं से शुरुआत होती है कुछ ले देकर के नौकरी लगा देने की.. फैसला आपको ( अभिभावकों ) को करना है ।।*

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